देश में निकला होगा चाँद
The first Gazhal is by Dr. Rahi Masoom Raza - देश में निकला होगा चाँद. I don't remember the whole Gazhal therefore this partial reproduction.
The Nazm it self is heart wrenching stuff, and has used Tatbhav form of Hindi. The theme is my familiar them. I bet, even without melancholy mood, this song will give you the ample reason to cry. Chand, of course, is a metaphor for beloved.
To explain more would be to repeat, because there is nothing to expalin. The song is self expressive, and needless to say - I am missing home.
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद
अपनी रात की छत पे कितना तनहा होगा चाँद।
चाँद बिना हर शब यों बीती जैसे युग बीते
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद।
आ पिया मोरे नैनन में मैं पलक ढाँप तोहे लूँ
ना मैं देखूँ और को, ना तोहे देखन दूँ।
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात
उन आँखों में आँसू का इक कतरा होगा चान्द।
रात ने ऐसा पेंच लगाया टूटी हाथ से डोर
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद।
The Nazm it self is heart wrenching stuff, and has used Tatbhav form of Hindi. The theme is my familiar them. I bet, even without melancholy mood, this song will give you the ample reason to cry. Chand, of course, is a metaphor for beloved.
To explain more would be to repeat, because there is nothing to expalin. The song is self expressive, and needless to say - I am missing home.
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद
अपनी रात की छत पे कितना तनहा होगा चाँद।
चाँद बिना हर शब यों बीती जैसे युग बीते
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद।
आ पिया मोरे नैनन में मैं पलक ढाँप तोहे लूँ
ना मैं देखूँ और को, ना तोहे देखन दूँ।
जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात
उन आँखों में आँसू का इक कतरा होगा चान्द।
रात ने ऐसा पेंच लगाया टूटी हाथ से डोर
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद।
Labels: Dr. Rahi Masoom Raza, Poems
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